Friday 4 August 2023

जग-हँसाई

हमारा नाम लेकर जग-हँसाई कर रहे होंगे,
हमारे दोस्त जब हाजत-रवाई कर रहे होंगे!

हमारे दोस्त भी आख़िर हमारी ही उमर के हैं,
हमारे दोस्त भी कोई दवाई कर रहे होंगे!

किसे मालूम था एक दिन ज़माना वो भी आएगा,
कि कारोबार सब्ज़ी का कसाई कर रहे होंगे!

मेरी तस्वीर का उन्होंने जाने क्या किया होगा,
वो जब दिल की दराज़ों की सफ़ाई कर रहे होंगे!

ग़ज़ल ‘अल्फ़ाज़’ की यूँही नुमायाँ हो रही होगी,
हम अपने ही उधेड़े की सिलाई कर रहे होंगे!

||| अल्फ़ाज़ |||

जगहँसाई = उपहास, बदनामी, Dishonor, Disgrace

हाजत-रवाई = इच्छा और कामना पूरी करना

दराज़ = Drawer,

नुमायाँ = व्यक्त, प्रकट, Apparent, Visible

Friday 28 July 2023

फ़साना हुसैन का


हर दौर में सुनोगे फ़साना हुसैन का,
आलम हुसैन का है ज़माना हुसैन का!

ज़िन्दा है आज भी तो हर एक दिल में कर्बला,
क़िस्सा तो यूँ बहुत है पुराना हुसैन का!

इश्क़-ए-हुसैन जानिये इश्क़-ए-रसूल है,
मरकज़ है दीन का वो घराना हुसैन का!

मैं भी जियूँ अली सा और हुसैन सा मरुँ,
मैं आशिक़-ए-रसूल दीवाना हुसैन का!

कट जाए मगर सर न झुके ज़ुल्म के आगे,
लोहा यजीदियों ने भी माना हुसैन का!

है ग़म कोई तो ग़म है ग़म-ए-हज़रत-ए-शब्बीर,
है ग़म कोई तो ग़म है मनाना हुसैन का!

हर दौर में सुनोगे फ़साना हुसैन का,
आलम हुसैन का है ज़माना हुसैन का!
|||
अल्फ़ाज़ |||


Friday 14 July 2023

दिल के यार

जो दिल के यार होते हैं,

वो बस दो-चार होते हैं!

 

ख़बर आती नहीं कोई,

मगर अख़बार होते हैं!

 

नज़र में इश्क़ न हो तो,

कहाँ दीदार होते हैं!

 

पलक उसने झुकाई है,

चलो तैयार होते हैं!

 

रूपए की एक सिफ़’अत है,

रूपए दरकार होते हैं!

 

तरीक़ा दूसरा सोचो,

तरीक़े चार होते हैं!

 

मेरे ‘अल्फ़ाज़ जिंदा हैं,

ये बा-किरदार होते हैं!

||| अल्फ़ाज़ |||

 

सिफ़अत (Sif’at) = Quality, Attribute विशेषता, गुण

दरकार (Darkaar) = Required.आवश्यक, अपेक्षित

 

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Friday 23 June 2023

हुस्न और इश्क़

दिल का आँखों को ये मशवरा देखिए,

देखकर आपको और क्या देखिए!

 

रु-ब-रु एक सरापा पस-ओ-पेश है,

उनका चेहरा या उनकी क़बा देखिए!

 

अबकी बारिश में वो छत पे आए अगर,

बाग़ में मोर को नाचता देखिए!

 

शाम की सुर्ख़ियों का मज़ा और है,

उनको करके ज़रा सा ख़फ़ा देखिए!

 

देखते हैं वो ख़ुद को भला किस तरह,

आईने में उन्हें देखता देखिए!

 

ख़ुद से ही आपको इश्क़ हो जाएगा,

मेरी आँखों से मत आईना देखिए!

 

उन लबों पे जो इंकार है, झूठ है,

उनकी आँखों में उनकी रज़ा देखिए!

 

हुस्न और इश्क़ अल्फ़ाज़ मिलने को हैं,

इस क़यामत को होता हुआ देखिए!

||| अल्फ़ाज़ |||

 

रु-ब-रु (Ru-Ba-Ru) = आमने-सामने, Face To Face, In Front Of

सरापा (Sarapa) = सर से पाँव तक, सम्पूर्ण, From Head To Foot, Entire

पस-ओ-पेश (Pas-O-Pesh) = उलझन, Indecision, Hesitation

क़बा (Qaba) = वस्त्र, वेशभूषा, परिधान, Attire, Dress

इंकार (Inkaar) = खण्डन, अस्वीकार करना, Refrain, Denial, Refusal

रज़ा (Raza) = मर्ज़ी, इच्छा, Desire, Will

 

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Tuesday 18 April 2023

असलियत

फ़िर्क़ों में तू बंटेगा, पंथों में तू फंसेगा,

जानेगा जब असलियत, ख़ुद पे ही तू हंसेगा!

 

भगवान की लड़ाई, भगवान वाले जानें,

इंसान की लड़ाई, इंसान ही लड़ेगा!

 

तेरा करम तेरे घर आएगा लौट करके,

तूने है कुछ जलाया, तेरा भी कुछ जलेगा!

 

कहता है हर शराबी मैं पूरे होश में हूँ,

वैसे तो हर शराबी सारा ही सच कहेगा!

 

ऐ राम के पुजारी, तू राम की तरह बन,

भगवान तब बनेगा, इंसान जब बनेगा!

 

‘अल्फ़ाज़’ रौशनी का सीधा सा है तक़ाज़ा,

पुरनूर उतना होगा, जितना भी तू जलेगा!

||| अल्फ़ाज़ |||


फ़िरक़ा (Firqa) = Religious Sect, पंथ, साम्प्रदाय

तक़ाज़ा (Taqaaza) = Demand, माँग

पुरनूर (Purnoor) ­= Illuminated, Enlighted, तेजस्वी, रौशन

 

Thursday 6 April 2023

स्याह उजाले...


सच के रस्ते चलने वाले पैरों में छाले मिलते हैं,

इस धूप की नगरी में हमको कुछ स्याह उजाले मिलते हैं!

 

एक वक़्त था जब घर की बेटी सारे गाँव की बेटी थी,

अब दूध-मुँही की इज़्ज़त को भी लूटने वाले मिलते हैं!

 

वो क्या जानें, हम भूखों को क्यूँ चाँद में रोटी दिखती है,

जिनको घर बैठे थाली में भर पेट निवाले मिलते हैं!

 

न टोपी, न ही लाल तिलक, न पगड़ी पहन के आया हूँ,

कुछ लोग मुझे क्यूँ बस्ती में तलवार निकाले मिलते हैं!

 

भगवान तो छोड़ो लोगों में इंसान भी अब कम मिलता है,

हाँ, वैसे तो इस नगरी में हर मोड़ शिवाले मिलते हैं!

 

कुछ काम पड़े तो मिलता है, बस काम की बातें करता है,

अब वो मिलता है ऐसे जैसे दुनिया वाले मिलते हैं!

 

कोहसार हों, दरिया-सागर हों, रस्ता आख़िर बन जाता है,

चाहे कुछ हो जाए लेकिन मिलने वाले मिलते हैं!

 

अब कौन भला हमको पढ़के हर रात सरहाने रखता है,

अब तो टूटी अलमारी में उर्दू के रिसाले मिलते हैं!

 

क्यूँ भीड़ यहाँ पर इतनी है, ‘अल्फ़ाज़’ पता कर आया है,

इन बाज़ारों में फ़ित्नों के तैयार मसाले मिलते हैं!

||| अल्फ़ाज़ |||


स्याह = काला, Black

कोहसार = पर्वतमाला, Range of Mountains

सिरहाना = Near Head

रिसाला = पत्रिका, Magazine

फ़ित्ना = बुराई, पाप, evil, sin

Saturday 1 April 2023

बे-दख़्ल


जन्नत से बे-दख़ल* हूँ,

आदम की मैं नसल* हूँ!

 

शैताँ* ने बीज बोया,

मैं काटता फ़सल* हूँ!

 

करता हूँ मैं ख़ताएँ,

इंसान दरअसल* हूँ!

 

उलझा हूँ ख़ुद से जितना,

उतना हुआ मैं हल हूँ!

 

मैं ध्यान में रहूँगा,

माना कि मैं ख़लल* हूँ!

 

माहौल से मुझे क्या,

कीचड़ का मैं कमल हूँ!

 

इल्ज़ाम मैं किये दूँ,

अपने किये का फल हूँ!

 

हर दिल का आईना हूँ,

‘अल्फ़ाज़’ की ग़ज़ल हूँ!

||| अल्फ़ाज़ |||

 

बेदख़ल (बे-दख़्ल)  =  निर्वासित, Exiled

नसल (नस्ल) = वंशज, Lineage

शैताँ = शैतान, दुष्ट, Satan

फ़सल (फ़स्ल) = उपज, खेती, Crop, Harvest

दरअसल (दर-अस्ल) = वस्तुतः, वास्तव में, Actually

ख़लल = बाधा, Interruption

माहौल = परिवेश, परिस्थिति, Surroundings, Environment. 

Thursday 23 March 2023

इश्क़


जिसको जितना मिला, उतना मिस्कीन है,

अपने ग़म में ज़माना ही ग़मगीन है!

 

दोगे जो भी इसे, तुमको लौटाएगा,

इश्क़ इज़्ज़त भी है, इश्क़ तौहीन है!

 

जिसको जैसे मिले, उसको वैसा करे,

इश्क़ रहमान है, इश्क़ फ़ित्तीन है!

 

एक के साथ दूजा चला आएगा,

इश्क़ तक़लीफ़ है, इश्क़ तस्कीन है!

 

बात तेरी नहीं, तू परेशाँ न हो,

दिल तो बस आदतन यूँही ग़मगीन है!

 

याद मीठी है लेकिन है क्या माजरा,

आँख का पानी जाने क्यूँ नमकीन है!

 

मामला ये है कि याद वो आ गया,

मामला आज ज़्यादा ही संगीन है!

 

जानते हैं कि अल्लाह कोई और है,

आशिक़ों के लिए इश्क़ ही दीन है!

 

आप जो भी कहें फ़र्ज़ ‘अल्फ़ाज़’ पर,

आप जो भी कहें उसपे आमीन है!

||| अल्फ़ाज़ |||


मिस्कीन = Poor, निर्धन, ग़रीब

ग़मगीन = Depressed, दुखी

तौहीन = Insult, अपमान

परेशाँ = Distressed, Bothered, चिंतित

रहमान = Merciful, दयालु

फ़ित्तीन = Mischievous, Sinner, बुराई डालने वाला, पापी

तस्कीन = Ease, Comfort,  चैन, सुख

संगीन = Tough, Serious, असाधारण, कठिन

माजरा = Happening, Narration, मामला, विषय

दीन = Religion, धर्म

फ़र्ज़ = Duty, कर्तव्य

Thursday 10 November 2022

एहसास

सीने से तो वो लगा थादिल से लगा न था,

कुछ इस तरह मिला वो जैसे मिला न था!

 

किरदार को मैं उसके कैसे बुरा कहूँ,

दुश्मन तो वो मेरा थाइंसाँ बुरा न था!

 

तारीफ़ क्या करूँ मैं अहबाब की मेरे,

ऐसा कोई नहीं है जिसने ठगा न था!

 

फिर से वही इरादे, फिर से वही अहद,

नए साल के अलावा कुछ भी नया न था!

 

अन्जान जब तलक था रस्म-ओ-रिवाज से,

अच्छा तो मैं नहीं थाइतना बुरा न था!

 

उड़ने की जिसमे ज़िद थीआख़िर वो उड़ गया,

उड़ने से जो डरा थावो ही उड़ा न था!

 

जीना है चैन से तो ‘अल्फ़ाज़’ चुप रहो,

सच बोलना तो पहले इतना मना न था!

||| अल्फ़ाज़ |||


किरदार = Character, चरित्र

इंसाँ = Human Being, मनुष्य

अहबाब = Friends, मित्र, प्रियजन

अहद = Promise, Oath, प्रण, सौगंध

रस्म-ओ-रिवाज = Customs And Traditions, परंपरा

Friday 28 October 2022

नश्तर...

आरज़ू है वही, जो मुक़द्दर नहीं,

क़ीमती वो लगा, जो मयस्सर नहीं!

 

जाने कब बढ़ गए पाँव इतने मेरे,

कोई चादर भी आती बराबर नहीं!

 

थोड़े-थोड़े हैं हैं सारे ही इंसाँ ग़लत,

राम तू है नहीं, मैं पयम्बर नहीं!

 

मस्जिदें भी दिवाली पे रौशन करो,

इन चराग़ों के मज़हब मुक़र्रर नहीं!

 

तू तो दरिया है तुझसे मेरा होगा क्या,

मुझको तर कर सका कोई सागर नहीं!

 

बस उसी एक मंज़िल की ज़िद है मुझे,

जिस तलक जा सका कोई रहबर नहीं!

 

पर कटे हैं मगर पार हो जाऊँगा,

हौसले से बड़ा तो समंदर नहीं!

 

सौ दफ़ा सोचकर एक दफ़ा बोलिए,

क्यूंकि ‘अल्फ़ाज़’ सा कोई नश्तर नहीं!

||| अल्फ़ाज़ |||


आरज़ू = इच्छा, चाहत, Wish, Desire

कीमती = मूल्यवान, Precious, Expensive

मयस्सर = हासिल, प्राप्त, Available

रहबर = मार्गदर्शक, Guide

पयम्बर = ख़ुदा/ईश्वर का संदेशवाहक, Messenger Of God, Prophet.

चराग़ = दीपक, An Oil Lamp

मुक़र्रर = निश्चित, नियत,Imposed, Fixed,

नश्तर = छुरी, चाक़ू, cutter, lancet